Friday, April 10, 2009

बूँद पड़ी !!


कड़ी धुप, निकल भूप
रेशमी कुरता, पहन कोल्हापुरी
लगा तेल चमेली
चबा पान बनारसी
चले बाबू भूप
बाज़ार बरेली !
रोका! बैठे! टमटम चली
जून दुपहरी
बूँद पड़ी !!
घंटा भर सफर , पहुंचे
भूप बाज़ार बरेली
रोका टमटम और उतर
सामने दूकान नवेली
अंधार पधारे
बोले कूलर दिखावें
शीतल करे जल्दी
देह आत्मा और हवेली
दुकान में सुंदर नार
कर रही प्रचार
पसंद कीजिये सरकार
बाबू भूप नज़र महीन
बड़े शौकीन
कूलर रंगीन
रुपये पाँच सौ मोल ली
बंधवाकर बोले ए कुली
चल उठा मेरी प्यारी
लाड टमटम पर
देकर ध्यान
अनमोल सामान
चलो कोचवान
चलो हवेली
बीच अधर
छाई बदली
तेज़ आंधी
बूँद पड़ी !!
अरे ये क्या?
आए मानसून
अरे अन्हीं
अभी जून
पहुंचे भूप तरबतर
टमटम रुका और उतर
सामान भीतर कर
ख़ास कोठी में लगाया
भूप पलंग पर सुस्ताया
शीतल हवा चली
बूँद पड़ी !!
हाई री किस्मत
बाबू भूप कूलर और हवेली
मैं देहली
बूँद पड़ी !!

© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo॥!! Creative House

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