
आगे घनघोर अँधेरा है
सूरज चाँद को खा गया
और सूरज को खा गया अन्धकार
मेरी परछाई भी
अन्धकार में हो गई गुम
मेरी आवाज़ भी है सुन्न
बादल तारे भी
अन्धकार के आगोश में
हाहाकार ! ब्रह्माण्ड है शोक में !!
© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo!! Creative House
wo mera aaina hai main us ki parchhai hoon mere hi ghar me rehta hai, mujh jaisa hi jaane kaun