Sunday, October 25, 2009

जलती बुझती बात

रात सारी रात देखी
जलती बुझती बात देखी
कहती मुझसे मेरी बातें
पल में कटती लम्बी रातें
आंखों में बहती बात देखी
काजल की बहती धारा
धधकती हुई बहती धारा
सूखी सी बरसात देखी
सूनी सूनी सांझ बोली
तारों की उड़ान बोली
रंगों की मुस्कान बोली
तेरी मेरी बात देखी
जलती बुझती बात देखी

© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo!! Creative House

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