
मेरे दिल के मकान के
खाली दराजों मैं अब भी
तुम्हें वो ख़त मिल जायेंगे
जो मैंने नहीं लिखे !!
मेरी आंखों की गेहरायिओं में उतरोगी
तो तुम्हें दिखाई देंगे
बहुत से शब्द डूबते हुए
जो मैंने नहीं लिखे !!
कभी शामिल हो जाओ मेरी ज़िन्दगी में
तो पढ़ सकोगी
कई ना-उम्मीद कहानियाँ
जो मैंने नहीं लिखे !!
कभी जब मेरा हाथ थामोगी तुम
तो महसूस करना
अधूरी सी लकीरें
जो मैंने नहीं लिखे !!
कभी अपने दिल में तुम
जब झांकोगी तो तुम्हें दिखेंगी
जलती हूई किताबें
जो मैंने नहीं लिखे !!
मेरे ये नज़्म तुम्हारे लिए ही हैं
तुम देदो इन में
कोई ऐसा मोड़
जो मैंने नहीं लिखे !!
© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo..!! Creative House

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