
सुनो ! बात एक मैं कहता हूँ
बात है बहुत ज़रूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
ठहरो ! शब्द तुम
न मुझसे रूठो
समझो कुछ
मेरी मजबूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
पंथी ! प्यासे तुम
मत जाओ
पनघट की है
थोडी दूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
जागो ! पलकों पर जलते
सपने दिन के
रात आती
घटता है सूरज
ख़त्म होगी नूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
देखो ! खुली किताब का
पलटा हुआ पन्ना
और धुंधली स्याही
अन्तिम पन्ना है कस्तूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
बात है बहुत ज़रूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
ठहरो ! शब्द तुम
न मुझसे रूठो
समझो कुछ
मेरी मजबूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
पंथी ! प्यासे तुम
मत जाओ
पनघट की है
थोडी दूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
जागो ! पलकों पर जलते
सपने दिन के
रात आती
घटता है सूरज
ख़त्म होगी नूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
देखो ! खुली किताब का
पलटा हुआ पन्ना
और धुंधली स्याही
अन्तिम पन्ना है कस्तूरी
यह कवि निराश है
अब तुम करो मेरी कविता पूरी !!!
© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo..!! Creative House

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