Saturday, February 28, 2009

DESPERATION

दरिया मे दाने मोती के
परियों को पाने के
मेरे इरादे
सूखे शज़र पर
हरियाये पत्ते
झरने से झरझर
घटता पानी
मेरी जवानी की
घटती हुई यादें
अधूरे सपनो के
खोये हुए साये
मेरे तन से आगे
मेरी परछाई
हम सफर करते हैं
माफ़ करना
पूरे न हो सके हमसे
जो किए थे वादे !!!

© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo..!! Creative House

No comments:

Post a Comment