दरिया मे दाने मोती केपरियों को पाने के
मेरे इरादे
सूखे शज़र पर
हरियाये पत्ते
झरने से झरझर
घटता पानी
मेरी जवानी की
घटती हुई यादें
अधूरे सपनो के
खोये हुए साये
मेरे तन से आगे
मेरी परछाई
हम सफर करते हैं
माफ़ करना
पूरे न हो सके हमसे
जो किए थे वादे !!!
© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo..!! Creative House

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