
जब भी मैं निकलता हूँ
कर के पूरी तैय्यारी
अपनी मंजिल की और अग्रसर
दो कदम चल कर
मुझे क्यों मिलती हैं सामने दो राहें
मुझ पर फैलाती अपनी बाहें !!
त्याग ओर विलास
दो अंतहीन राहें
एक कांटो का पथ है
दूसरा पतन का रथ है
भरमाये काँटों का दर्शन
खींचे रथ का आकर्षण
त्याग पथ पर क्यों जाऊं मैं
क्या पाया है ज़िन्दगी से मैंने
जो सब कुछ व्यर्थ लुटाऊ मैं
विलास पथ पर जा कर
क्यों न जीवन सुंदर बनाऊं मैं
पथ पर मिले साधू महान
मैंने किया अपनी व्यथा का बखान
साधू ने मुझको समझाया
करना है जीवन सफल
तो काँटों के पथ पर चल
पुष्प से पहले है काँटों का स्थान !!
पर मैं तो चाहूँ पुष्प काटों से पहले
काटों के पथ पर जाऊं न जाऊं
ख़ुद को फ़िर से दोराहे पर पाऊं
मुझे क्यों मिलती है सामने दो राहें
मुझ पर फैलाती अपनी बाहें !!!!
© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo..!! Creative House
कर के पूरी तैय्यारी
अपनी मंजिल की और अग्रसर
दो कदम चल कर
मुझे क्यों मिलती हैं सामने दो राहें
मुझ पर फैलाती अपनी बाहें !!
त्याग ओर विलास
दो अंतहीन राहें
एक कांटो का पथ है
दूसरा पतन का रथ है
भरमाये काँटों का दर्शन
खींचे रथ का आकर्षण
त्याग पथ पर क्यों जाऊं मैं
क्या पाया है ज़िन्दगी से मैंने
जो सब कुछ व्यर्थ लुटाऊ मैं
विलास पथ पर जा कर
क्यों न जीवन सुंदर बनाऊं मैं
पथ पर मिले साधू महान
मैंने किया अपनी व्यथा का बखान
साधू ने मुझको समझाया
करना है जीवन सफल
तो काँटों के पथ पर चल
पुष्प से पहले है काँटों का स्थान !!
पर मैं तो चाहूँ पुष्प काटों से पहले
काटों के पथ पर जाऊं न जाऊं
ख़ुद को फ़िर से दोराहे पर पाऊं
मुझे क्यों मिलती है सामने दो राहें
मुझ पर फैलाती अपनी बाहें !!!!
© आलोक, २००९
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