जन का मन
करता है रोदन
दीन हीन
दिशा विहीन
व्यथित बाधित
संतप्त प्रताड़ित
उदर की ज्वाला
करती है हाहा
स्वाहा स्वाहा
अभिमानव रुपी
मूषक
उदर ज्वाला
समोदर समान
अर्थ कामना
कमान
शव भेदते बाण
कुटिल कुंठा
धूमिल मर्यादा
निशब्द निस्तब्ध
दीन हीन
दिशा विहीन !!
© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo!! Creative House
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