Tuesday, March 10, 2009

इन पन्नों को पलट दो

वो किताब देख रहा हूँ
उनमे कुछ शब्द
नहीं दीख पड़ते हैं
कोई इन पन्नों को
पलट दो

मिटा क्यों नहीं देते हो
ये तहरीरें ये लकीरें
ये तस्वीरें
जो तकलीफ देती हैं

कशमकश
जो जीने नहीं देती
ख्वाहिशें
जो मरने नहीं देती

ये तस्वीरें
जो तकलीफ देती हैं
मिटा क्यों नही देते हो

ये तन्हाइयाँ
ये घुटन
ये कुंठित से
सुखन
कोई इन पन्नों को
पलट दो !!!!

© आलोक, २००९
Chaat Vaat Khaalo..!! Creative House

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