Sunday, March 13, 2011

लहर दानव

रेत के घर
रेत के सपने
रेत सी तन्हाई
रेत सी यादें
लहरों का समंदर
हारिणी लहरें
ढलती रात
जीता सूरज
गाता मछुआ
चूल्हों से उठता धुंआ
स्कूल को जाता
छोटा बचपन
हांडी में उबलती लहरें
गीला चावल
रोती रोटी
रोता बर्तन
बिखरा काजल
टूटी चूड़ी
टूटे दर्पण
खोया बचपन
खोयी जवानी
लाशें ढ़ोता लंगड़ा बुढ़ापा
भटकते रिश्ते
सड़ती काया
सूनी सूनी
पेड़ की छाया
टूटे फल और टूटी डाली
मांग से है उजड़ी लाली
काला सूरज
पूनम काली
ढहती छत
मढ़ता जीवन
आँख में पानी
घर में लहरें
रस्ते थे जो
बन गयी नहरें
सागर सा ही खारा खारा
सागर से भी ज्यादा गहरे
तन पर ओढा गीला कम्बल
चेहरा पीला
कंठ सूखा
लहर भरा है
जल का लोटा
सर के ऊपर
थोडा अम्बर
पाँव के नीचे
लाश का दलदल
जीवन बाकी कैसे गुज़रे
धरती सारी हो गयी लहरें
सृष्टि तुने कैसी रची है
वक़्त को कह दो
थोड़ा ठहरे
निरीह देखता
रह गया इसवी
लहर दानव
खा गया पृथ्वी !!

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